बुधवार, 13 अगस्त 2008

क्या नंदीग्राम से कम है नोएडा का विवाद

लोजपा नेता रामविलास पासवान ने कल कहा था- ग्रेडर नोएडा में चल रहा है विवाद नंदीग्राम से भी बड़ा है। यह बयान भले ही राजनीति से प्रेरित हो लेकिन कहीं न कहीं इसमें सच्चाई भी है.....ताज एक्सप्रेस बनाने के जुनून में दबे-कुचलों की कथित महारानी मायावती ने ग्रेटर नोएडा को नंदीग्राम बना डाला है। यहां किसान पिछले तीन-चार सालों से मांग कर रहे हैं कि उन्हें जमीन का बेहतर मुआवजा दिया जाए.......... लेकिन माया को उनकी मांग को सुनने-समझने की फुर्सत ही नहीं है। उन्हें पता था कि किसान बुधवार को प्रदर्शन करेंगे लेकिन कोई पुख्ता तैयारी करना उन्होंने मुनासिब नहीं समझा.....मजबूरन १२ किसानों को (अनाधिकृत तौर पर ) जान गंवानी पड़ी............ माया का प्रशासन कहता है कि हम पहले से ही किसानों को ज्यादा मुआवजा दे रहे हैं और वे कुछ भी कर लें हम मुआवजा नहीं बढ़ाएंगे.............
ऐसे में सवाल यह उठता है कि समस्या का समाधान क्या हो.........
१। क्या किसानों को ऐसे ही मरने के लिए छोड़ दिया जाए
२। क्या किसानों की मांग नाजायज है
३। क्या ताज एक्सप्रेस-वे पर गंदी राजनीति नहीं हो रही.....
असल में समस्या की जड़ राजनीति ही है.... किसानों को जब जमीन दी गई तब जमीन के सही रेट दिए गए थे लेकिन बाद में जब ताज एक्सप्रेस-वे का हव्वा खड़ा हुआ तब जमीन के रेट बढ़ गए और किसानों को लगा कि उनके साथ धोखा हुआ है और राजनीतिक दलों ने इस गुस्से को हवा दे दी॥यहीं से शुरू हो गया सारा विवाद............अब जरूरत है इस गंदी राजनीति पर रोक लगाने की और किसानों की मांग पर सहानुभूति पूर्वक विचार करने की............